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अधूरा राबता!

बिता वक़्त याद आता है,कभी तुम तो कभी तुम्हारा ज़िक्र इस दिल को

मिया महोतरमा!

जब मिया मिले महोतरमा से पहली दफा,देर से आकर कर दिया उनको खफा,तशरीफ़

मुस्कान!

वो जो होटों पर आए, मगर ठहर न पाए,चेहरे के नूर को रोशन

Be You!

Fake इस ज़माने में, दिल-फेंक बन तू,Formalities के दायरों से हट, थोड़ा मनमर्ज़ी

वो दौर!

वो दौर कुछ ऐसा था, क्या अपना क्या पराया, सब अपनों के जैसा