Poetry रिश्तें! May 12, 2020 Rishtey क्यों हम रिश्तों को इतना मोल देते है,उनको उम्मीदों और आशाओं में तोल देते है,ऐ संसार के मोह में उलझे प्राणी, सीख़ उन बेज़ुबां जीवों से,जो इन बंधनो से परेह होकर, अपने रिश्तों को अनमोल कर देते है। -शिखा जैन Bond, Expectations, Hope, Nature, Poem, Poetry, Rishtey, SJ, Thoughts 1 Like1 min read374 Views Previous post मेहफ़िल Next post पतझड़। Leave a reply Cancel reply Δ