Poetry

वक़्त!

आप आए ज़िन्दगी में,क्या ये हमारी खुशनसीबी है? ये कौन बताए?दौर ये वक़्त

Ohh my Baby!

अल्फाज़ो में मेरे ज़िक्र हो तुम्हारा,दिल में मेरे दीदार हो तुम्हारा,ओह मेहरमा!तेरे इंतज़ार

दर्द!

इस दर्द का भी क्या कहना,कुछ यूँ शरीख हुआ ये इस ज़िन्दगी में,के

मिया महोतरमा!

जब मिया मिले महोतरमा से पहली दफा,देर से आकर कर दिया उनको खफा,तशरीफ़

मुस्कान!

वो जो होटों पर आए, मगर ठहर न पाए,चेहरे के नूर को रोशन