अब के सावन…

अब के सावन…

Ab Ke Saawan

अब के सावन कुछ यूँ बरसा,
तन क्या ये मन भी भीगने को ना तरसा,
खयाल ऐसे है इस दिल मैं अब ,
बरस बरस के कुछ ऐसा बरस तू आज,
इस तूफ़ान संग ले जा ये खौफ भरा हाल,
ताकि,
खुले आसमां मैं इन बूंदों साथ, बिना कोई झिझक हम फिर सके नाच।

-शिखा जैन