Tag: Nature

रिश्तें!

क्यों हम रिश्तों को इतना मोल देते है,उनको उम्मीदों और आशाओं में तोल

मन बावरा!

बावरा सा ये मन, कही ठहरता ही नहीं , भवरे की तरह मंडराए