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मेहफ़िल
इस भरी मेहफ़िल मैं भी तन्हाई का आलम है,ये उनके ना होने से
जज़्बात!
ज़ुबा पे थे जज़्बात पर बयान न कर पाए,कम्बख्त इन आँखों ने उन्हें,
मेरा साथ, मेरे साथ!
कभी कभी कुछ वक़्त खुद के साथ भी बिता लिया करो,कौन जाने,कुछ ऐसा
बेपरवाह
जिए तो जिए यु , जिए तू बेपरवाह ,रोज़ की भगदड़ मैं ,
बस एक पल
वो बारिश कुछ ऐसी हुई,दो दिल एक अनजान राह पर कुछ यु मिले,उस
मन बावरा!
बावरा सा ये मन, कही ठहरता ही नहीं , भवरे की तरह मंडराए
Kuch yu jiye!
Uljhee hai zindagi ki patang, daav-pechon main. Khol baahein apni, lapet us manjhe
Shikaayate!
Shikaayate toh bahot rahi hume, Par kambakth ye zindagi, Unhe haskar bhulana aur
Khamoshi!
Khamoshi ke pal beetein kuch yu uske saath, Na humne kuch kaha, na
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