Musings

Khoye Se Hum!

क्यों खोया खोया सा है ये मन,कुछ उफान बवंडर है अंदर,ये कहना तो

अधूरा राबता!

बिता वक़्त याद आता है,कभी तुम तो कभी तुम्हारा ज़िक्र इस दिल को

गुफ़्तगू।

गुफ़्तगू कुछ ऐसी हुई उससे,हम खोते ही चले गए।वो तो राही था इस
Autumn

पतझड़।

सुन पतझड़, क्यों अपने इस हाल पे उदास है,तेरे झड़ने से ही तो