
बातें.
कुछ तुमने कहा , कुछ हमने कहा ,
कहते कहते बातों का कारवां बनता गया ,
शाम कब ढल रात हो गयी ,
इस वक़्त के गुज़रने का कोई अंदाजा ही न रहा ,
हर पल उस वक़्त का इतना सुहाना था ,
बातें तो बस दोनों के, साथ रहने का बहाना था ,
क्या ये कोई नयी शुरुआत थी ?
हां , ये ज़िन्दगी के कुछ हसीन पलों को जीने की शुरुआत थी।
-शिखा जैन


